श्री बीतक
महामति श्री लालदास जी द्वारा श्री बीतक ग्रन्थ की रचना की गई, जिसमें अक्षरातीत श्री प्राणनाथ जी द्वारा श्री देवचन्द्र जी (सम्वत् १६३८ से १७१२ तक), श्री मिहिरराज जी (सम्वत् १७१२ से १७५१ तक), तथा श्री छत्रसाल जी (सम्वत् १७५१ से १७५८ तक) के तन से की गई आवेशित ब्रह्मलीला का वर्णन है।
बीतक कोई मानवीय इतिहास नहीं है और न ही किसी भगवान, आचार्य, सन्त, या गुरु का अपने भक्तों या शिष्यों के साथ घटित होने वाला वृत्तान्त है। स्वलीला अद्वैत सच्चिदानन्द परब्र...